
आज हिन्दी दिवस के सुअवसर पर कुछ अपनी मातृभाषा में लिखने की इच्छा है। आशा है पाठकों को पसंद आएगी 🙏🙏🌹🌹
मौसम आते हैं, मौसम जाते हैं,
दिन यूँ ही कटते चले जाते हैं,
सुबह होती है, तो शाम का इंतज़ार होता है,
रातें आती हैं, तो सुबह का इंतज़ार होता है,
एक त्योहार बीतता है, तो अगले का इंतज़ार होता है,
लोग आते हैं, लोग चले जाते हैं,
बस, एक हम हैं, जो वहीं के वहीं,
खड़े, देखते रह जाते हैं,
आने-जाने का ये निरन्तर सिलसिला,
जीवन-चक्र का एहसास दिला जाता है ।
©Chitrangadasharan