
बड़े शहरों की, बड़ी है हैं बातें,
ऊँची इमारतें, ऊँची ख्वाहिशें,
सब कुछ तो है यहाँ,
पर सुकून ना जाने कहाँ,
किसको फ़ुरसत है,
ज़्यादा आसमान देखें,
बस मुट्ठी भर ही काफ़ी है।
©Chitrangadasharan
बड़े शहरों की, बड़ी है हैं बातें,
ऊँची इमारतें, ऊँची ख्वाहिशें,
सब कुछ तो है यहाँ,
पर सुकून ना जाने कहाँ,
किसको फ़ुरसत है,
ज़्यादा आसमान देखें,
बस मुट्ठी भर ही काफ़ी है।
©Chitrangadasharan